Soyabean Cultivation / सोयाबीन की खेती

मृदा पीएच -> 5.5-7.0
आर्द्रता -> 75-85%
फसल का प्रकार -> Kharif

मिट्टी की आवश्यकता का प्रकार -> Loam (दोमट मिट्टी, बलुई दोमट से चिकनी मिट्टी)

About the course

कैसे करें सोयाबीन की बुवाई

पीला सोना यानी सोयाबीन सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है, इसकी बुवाई जून के पहले हफ्ते से शुरू हो जाती है।सोयाबीन पैदावार बढ़ाने के लिए  किसानों को इसकी बुवाई के सही तरीके की जानकारी होना बेहद जरूरी है। क्योंकि सोयाबीन से तेल,सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर आदि चीजें बनाई जाती है। अगर सही तरीके और व्यापक रूप से  सोयाबीन की खेती किया जाए तो यह बढ़िया आय स्रोत बन सकता है।

 

उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, कृषि ज्ञान कोष  खेती और किसानों से जुड़ी आवश्यकताओं को देखते हुए किसानों के जरूरतों के आधार पर  यह ऑनलाइन शॉर्ट टर्म कोर्स शुरू किया हैं।  जिसे आप कहीं भी कभी भी खेती से जुड़े कोर्स कर सकते हैं।

 

इस कोर्स से आप सीखेंगे:

  • सोयाबीन बुवाई के लिए मिट्टी को तैयार कैसे करें।
  • सोयाबीन की बुवाई कैसे करें।
  • खाद एवं उर्वरक का उपयोग कितना करे।
  • सिंचाई कब और कितना करे।
  • आर्थिक लाभ कितना होगा।
 

 

कृषि ज्ञान कोष प्रशिक्षण उद्देश्य:

कृषि ज्ञान कोष के दृष्टिकोण से, प्रशिक्षण के मुख्य उद्देश्य

 

जागरूक करना

कृषि ज्ञान कोष एक ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म है। जिसे कृषि उद्यमियों, किसानों, युवा बेरोजगार किसानों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। हम टेक्निकल और पारंपरिक खेती करने की संपूर्ण जानकारी देते है। जिससे कृषि क्षेत्र जुड़े लोग जागरूक रह सके।

कौशल  बढ़ाना

कृषि ज्ञान कोष वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने पर विश्वास रखता है। इसीलिए हम कृषि क्षेत्र में एक से अधिक क्षेत्रों में काम करने के लिए किसानों का हमेशा कौशल बढ़ाते रहते हैं।

प्रोत्साहन बढ़ाना

हम कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए ऑनलाइन प्रमाणपत्र प्रदान करते है ,जिन्होंने हमारा पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है।

उत्पादन बढ़ाना

हमारा उद्देश्य कृषिकों को खेती से जुड़े विधियों, बुनियादी आवश्यकताओं, विभिन्न कृषि पारंपरिक और नई तकनीक नवाचारों के साथ स्मार्ट खेती के बारे में सही जानकारी देना है, जिससे उत्पादन अधिक से अधिक हो सके।

लागत कम करना

कई बार किसान को फसलों के होने वाले रोगों की पहचान समय पर नहीं होती, और जब रोग का पता चलता है, तब तक फसल को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है। ऐसे होने वाले नुकसान से बचाना और कम लागत में अधिक उपज बढ़ाना कृषि ज्ञान कोष का उद्देश्य है।

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